एक इंसान की हक़ीकत क्या है
जिंदगी से उसे निस्बत क्या है
दिल में जो हो कह नहीं पाये
खुद का सच भी सह नहीं पाये
पी न सके निश्छल प्याले से
छल का दंश भी सह नहीं पाये
हँस नहीं पाये रो नहीं पाये
अपने सपने बो नहीं पाये
सच समझें ये धैर्य न होता
झूठों से भी भाग न पाये
टकराये जब ईमान से अपने
खुद को ही वो समझ न पाये
बढ़ नहीं पाये रुक नहीं पाये
फिर से नए उसूल बनाये
एक चमन रौशन करने को
बढे, असंख्यक दीप बुझाए
है एक अमीट अँधेरा आगे
समझ न पाये, संभल न पाये
अंधेरो को दूर भागकर
अंधेरों में घिर-घिर जाए
- अपर्णा
जिंदगी से उसे निस्बत क्या है
दिल में जो हो कह नहीं पाये
खुद का सच भी सह नहीं पाये
पी न सके निश्छल प्याले से
छल का दंश भी सह नहीं पाये
हँस नहीं पाये रो नहीं पाये
अपने सपने बो नहीं पाये
सच समझें ये धैर्य न होता
झूठों से भी भाग न पाये
टकराये जब ईमान से अपने
खुद को ही वो समझ न पाये
बढ़ नहीं पाये रुक नहीं पाये
फिर से नए उसूल बनाये
एक चमन रौशन करने को
बढे, असंख्यक दीप बुझाए
है एक अमीट अँधेरा आगे
समझ न पाये, संभल न पाये
अंधेरो को दूर भागकर
अंधेरों में घिर-घिर जाए
- अपर्णा
Nice post, things explained in details. Thank You.
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