March 29, 2014

इस मोड़ से जाते है

इस मोड़ से जाते है, कुछ सुस्त कदम रस्ते
कुछ तेज कदम राहे
पत्थर की हवेली को, शीशे के घरोंदो में
तिनको के नशेमन तक
इस मोड़ से जाते है...

आंधी की तरह उड़कर, एक राह गुजरती है
शरमाती हुयी कोई, क़दमों से उतरती है
इन रेशमी राहो में, एक राह तो वो होगी
तुम तक जो पहुचती है
इस मोड़ से जाते है...

एक दूर से आती है,पास आके पलटती है
एक राह अकेली सी, रुकती हैं ना चलती है
ये सोच के बैठी हूँ, एक राह तो वो होगी
तुम तक जो पहुचती है
इस मोड़ से जाते है...