उन आँखों में जो कुछ भी था
परे था वो
किसी भी यथार्थवादी या स्वप्नदर्शी की
मर्यादाओं से
कलम की ताकत कम पड़ जाती थी
जुबान देते हुए उन रंगों को
कहते थे हर युद्ध अौर विराम
है केंद्रित उससे
पर वह उन सब से परे था
निर्विकार , एकाकी
हर कहीं खोजता हुअा
अपना हीं सच
परे था वो
किसी भी यथार्थवादी या स्वप्नदर्शी की
मर्यादाओं से
कलम की ताकत कम पड़ जाती थी
जुबान देते हुए उन रंगों को
कहते थे हर युद्ध अौर विराम
है केंद्रित उससे
पर वह उन सब से परे था
निर्विकार , एकाकी
हर कहीं खोजता हुअा
अपना हीं सच
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