हैं पांव अभी मासूम से,
बे-खता, बे-फ़िक्र से,
पर कांटों से आगे बढ़कर,
तुझे रस्ते में फूल खिलाने हैं
हे नव सृजन! हे नव सृजक!
चलते चलो, चलते चलो.
रुकना नहीं किसी शर्त पर
झुकना नहीं किसी दंश से,
गिरना नहीं किसी कर्म से
मुड़ना नहीं सन्मार्ग से ,
हे भोर सूरज की किरण !
बढ़ते चलो, बढ़ते चलो.
आगे बढ़ो तेरी राह में,
कुछ प्राण हैं बेबस विकल
कुछ सुन कभी, कुछ गुन कभी,
और हो किसी के हित सजग
हे प्राणमय निर्भय पथिक ,
उड़ते चलो , उड़ते चलो.
-अपर्णाबे-खता, बे-फ़िक्र से,
पर कांटों से आगे बढ़कर,
तुझे रस्ते में फूल खिलाने हैं
हे नव सृजन! हे नव सृजक!
चलते चलो, चलते चलो.
रुकना नहीं किसी शर्त पर
झुकना नहीं किसी दंश से,
गिरना नहीं किसी कर्म से
मुड़ना नहीं सन्मार्ग से ,
हे भोर सूरज की किरण !
बढ़ते चलो, बढ़ते चलो.
आगे बढ़ो तेरी राह में,
कुछ प्राण हैं बेबस विकल
कुछ सुन कभी, कुछ गुन कभी,
और हो किसी के हित सजग
हे प्राणमय निर्भय पथिक ,
उड़ते चलो , उड़ते चलो.
nice line
ReplyDeleteVery nice and inspiring lines. Keep up.
ReplyDelete