अंधेरे की अमानत अमावस
आज रौशनी का रहनुमा बना
चौराहे पर खरा बच्चा भी
कटोरे में कुछ सिक्के जुटा कर
फुलझरियाँ खरीद लाया
जज्बा सराहनीय लगा उसका
अंधेरे को उजालों से जीत लेने का
खूब रौशनी हुई, कुछ धुआँ भी
शायद नमी रह गयी थी कहीं
मन में, या आँखों में शायद
बारूद के कुछ गोले तो सुलगते ही रहे
चमक नहीं पाये दूर आकाश में
विरहिणी के जब्त अरमानोँ की हीं तरह
मेवों मिठाइयों का आदान प्रदान भी हुआ
सौहार्द संतुष्टि, अहंकर की पुष्टि
सबका मिलाजुला भाव था
आराधना का माहौल भी बना
कहीं काली पूजा हुई कहीं लक्ष्मी पूजा
आज रौशनी का रहनुमा बना
चौराहे पर खरा बच्चा भी
कटोरे में कुछ सिक्के जुटा कर
फुलझरियाँ खरीद लाया
जज्बा सराहनीय लगा उसका
अंधेरे को उजालों से जीत लेने का
खूब रौशनी हुई, कुछ धुआँ भी
शायद नमी रह गयी थी कहीं
मन में, या आँखों में शायद
बारूद के कुछ गोले तो सुलगते ही रहे
चमक नहीं पाये दूर आकाश में
विरहिणी के जब्त अरमानोँ की हीं तरह
मेवों मिठाइयों का आदान प्रदान भी हुआ
सौहार्द संतुष्टि, अहंकर की पुष्टि
सबका मिलाजुला भाव था
आराधना का माहौल भी बना
कहीं काली पूजा हुई कहीं लक्ष्मी पूजा
जगह जगह का अपना असर था ये
कुछ गुत्थीयां अनसुलझी भी रहीं
कहीं दीप जले कहीं दिल
पता नहीं ये आस्थाओं का असर था
या अवस्थाओं का .....
- अपर्णा
कुछ गुत्थीयां अनसुलझी भी रहीं
कहीं दीप जले कहीं दिल
पता नहीं ये आस्थाओं का असर था
या अवस्थाओं का .....
- अपर्णा